IHRPPA
International Human Rights Public Protection Association
मौलिक अधिकारों को बुनियादी मानव स्वतंत्रता के रुप में परिभाषित किया गया जो प्रत्येक भारतीय नागरिक को व्यक्तिगत उचित और सामांजस्यपूर्न विकास के लिए आनंद लेने का अधिकार है।
मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किये जाते है और जिनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता।ये ऐसे अघिकार है जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक है और जिनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता।ये अघिकार कई कारणों से मौलिक है।
साधारण कानूनी अधिकारों को राज्य द्वारा लागू किया जाता है तथा उनकी रक्षा की जाती है जबकि मौलिक अधिकारों को देश के संविधान द्वारा लागू किया जाता है तथा संविधान द्वारा ही सुरक्षित किया जाता है। साधारण कानूनी अधिकारों में विधानमंडल द्वारा परिवर्तन किए जा सकते है परन्तु मौलिक अधिकारों में परिवर्तन करने के लिए संविधान में परिवर्तन आवश्यक है।
भारतीय संविधान में नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन संविधान के तीसरे भाग में अनुच्छेद 12 से 35 तक किया गया है। इन अधिकारों में अनूछेद 12, 13, 33, 34 तथा 35 (क) संबंध अधिकारों के सामान्य रुप से है। 44वे संशोधन के पास होने के पूर्व संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों को सात श्रेणियों में बांटा जाता था परन्तु इस संशोधन के अनुसार संपत्ति के अधिकार को सामान्य कानूनी अधिकार बना दिया गया। भारतीय नागरिकों को छह मौलिक अधिकार प्राप्त है।